राजपूतों के लिये यह कहा जाता है कि वह केवल राजकुल में ही पैदा हुआ
होगा,इसलिये ही राजपूत नाम चला,लेकिन राजा के कुल मे तो कितने ही लोग और
जातियां पैदा हुई है सभी को राजपूत कहा जाता,यह राजपूत शब्द राजकुल मे पैदा
होने से नही बल्कि राजा जैसा बाना रखने और राजा जैसा धर्म "सर्व जन
हिताय,सर्व जन सुखाय" का रखने से राजपूत शब्द की उत्पत्ति हुयी। राजपूत को
तीन शब्दों में प्रयोग किया जाता है,पहला "राजपूत",दूसरा "क्षत्रिय"और
तीसरा "ठाकुर",आज इन शब्दों की भ्रान्तियों के कारण यह राजपूत समाज कभी कभी
बहुत ही संकट में पड जाता है। राजपूत कहलाने से आज की सरकार और देश के लोग
यह समझ बैठते है कि यह जाति बहुत ऊंची है और इसे जितना हो सके नीचा दिखाया
जाना चाहिये,नीचा दिखाने के लिये लोग संविधान का सहारा ले बैठे है,संविधान
भी उन लोगों के द्वारा लिखा गया है जिन्हे राजपूत जाति से कभी पाला नही
पडा,राजपूताने के किसी आदमी से अगर संविधान बनवाया जाता तो शायद यह
छीछालेदर नही होती।
खूंख्वार बनाने के लिये राजनीति और समाज जिम्मेदार है
राजपूत कभी खूंख्वार नही था,उसे केवल रक्षा करनी आती थी,लेकिन समाज के
तानो से और समाज की गिरती व्यवस्था को देखने के बाद राजपूत खूंख्वार होना
शुरु हुआ है,राजपूत को अपशब्द पसंद नही है। वह कभी किसी भी प्रकार की
दुर्वव्यवस्था को पसंद नही करता है।
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